आपकी मृत्यु कब और कैसे होगी
इससे फर्क नही पड़ता कि बीते वक़्त में आपके साथ क्या हुआ या अभी आपकी ज़िन्दगी में क्या चल रहा है,यदि आप ईश्वर पर विश्वास रखते हैं, तो यह आपको एक उज्जवल भविष्य से दूर नही रख सकते। ईश्वर आपसे प्रेम करता है। वह बुरे कर्मों पर आपकी विजय की कामना रखता है, ताकि वह आपके जीवन के प्रति किये गए वादों को पूर्ण कर सके.
वैसे मृत्यु का ज्ञान प्राप्त करने के वेद, उपनिषद, गीता और योग में उल्लेख मिलता है। मृत्यु का ज्ञान अर्थात यह कि आप कैसे जान लें कि आपकी मृत्यु कब, कैसे और कहां होगी। हर कोई यह जानना चाहता होगा।
प्राचीन हिन्दू धर्मशास्त्र कठोपनिषद में मृत्यु और आत्मा से जुड़े कई रहस्य बताए गए हैं, जिसका आधार बालक नचिकेता और यमराज के बीच हुए मृत्यु से जुड़े संवाद हैं। नचिकेता वह बालक था, जिसकी पितृभक्ति और आत्म ज्ञान की जिज्ञासा के आगे मृत्यु के देवता यमराज को भी झुकना पड़ा। विलक्षण बालक नचिकेता से जुड़ा यह प्रसंग न केवल पितृभक्ति, बल्कि गुरु-शिष्य संबंधों के लिए भी बड़ी मिसाल है।
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार जन्म-मृत्यु एक ऐसा चक्र है, जो अनवरत चलता रहता है। कहते हैं जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु होना भी एक अटल सच्चाई है, लेकिन कई ऋषि- मुनियों ने इस सच्चाई को झूठला दिया है। वे मरना सीखकर हमेशा जिंदा रहने का राज जान गए और वे सैकड़ों वर्ष और कुछ तो हजारों वर्ष जीकर चले गए और कुछ तो आज तक जिंदा हैं। कहते हैं कि ऋषि वशिष्ठ सशरीर अंतरिक्ष में चले गए थे और उसके बाद आज तक नहीं लौटे। परशुराम, हनुमानजी, कृपाचार्य और अश्वत्थामा के आज भी जीवित होने की बात कही जाती है।
मृत्यु के बारे में वेद, योग, पुराण और आयुर्वेद में विस्तार से लिखा हुआ है। पुराणों में गरूड़ पुराण, शिव पुराण और ब्रह्म पुराण में मृत्यु के स्वभाव का उल्लेख मिलेगा। मृत्यु के बाद के जीवन का उल्लेख मिलेगा। परिवार के किसी भी सदस्य की मृत्यु के बाद घर में गीता और गरूड़ पुराण सुनने की प्रथा है, इससे मृतक आत्मा को शांति और सही ज्ञान मिलता है जिससे उसके आगे की गति में कोई रुकावट नहीं आती है। स्थूल शरीर को छोड़ने के बाद सच्चा ज्ञान ही लंबे सफर का रास्ता दिखाता है।
ध्यान रहे कि मृत्यु के पूर्वाभास से जुड़े लक्षणों को किसी भी लैब टेस्ट या क्लिनिकल परीक्षण से सिद्ध नहीं किया जा सकता बल्कि ये लक्षण केवल उस व्यक्ति को महसूस होते हैं जिसकी मृत्यु होने वाली होती है। मृत्यु के पूर्वाभास से जुड़े निम्नलिखित संकेत व्यक्ति को अपना अंत समय नजदीक होने का आभास करवाते हैं।
हम आपको बता रहे हैं कि किस तरह व्यक्ति जान सकता है कि उसकी मृत्यु कब, कहां और कैसे होगी। कठिन और सरल तरीके के बारे में जानिए अगले पन्ने पर.
योग सूत्र के विभूतिपाद में अष्ट सिद्धियों के अलावा अनेकों अन्य सिद्धियों का वर्णन मिलता है। उन्हीं में से एक है कर्म सिद्धि योग। माना जाता है कि इसे साधने से व्यक्ति को अपनी मृत्यु का पूर्व ज्ञान हो जाता है। यह बहुत ही सामान्य है।
श्लोक : ॥सोपक्रमं निरुपक्रमं च कर्म तत्संयमादपरांतज्ञानमरिष्टेभ्यो वा ॥योग सूत्र 22॥
अर्थात : सोपक्रम और निरुपक्रम, इन दो तरह के कर्मों पर संयम से मृत्यु का ज्ञान हो जाता है। सोपक्रम अर्थात ऐसे कर्म जिसका फल तुरंत ही मिलता है और निरुपक्रम जिसका फल मिलने में देरी होती है।
इन कर्मों में संयम करने से योगी को जब सिद्धि प्राप्त होती है, तो इससे उसे अपनी मृत्यु का ज्ञान हो जाता है। शास्त्रों में अनेक ऐसे चिह्नों का वर्णन मिलता है, जिनको जागते या सोते हुए देखने पर यह जाना जाता है कि मृत्युकाल समीप है।
कैसे होगा यह संभव : क्रिया, बंध, नेती और धौती कर्म से कर्मों की निष्पत्ति हो जाती है। निष्पत्ति अर्थात अच्छे-बुरे सभी तरह के कर्म शरीर और चित्त से हट जाते हैं। व्यक्ति शुद्ध, निर्मल बन जाता है। पुराने कर्मों का नाश हो जाता है। कर्मों की निष्पत्ति होने से व्यक्ति को स्वयं की मृत्यु का ज्ञान हो जाता है तथा वह स्वयं की मृत्यु के दिन और समय की घोषणा कर सकता है।
ओशो रजनीश कहते हैं कि मृत्यु कैसी भी हो काल या अकाल, उसकी प्रक्रिया छह माह पूर्व ही शुरू हो जाती है। छह माह पहले ही मृत्यु को टाला जा सकता है, अंतिम तीन दिन पूर्व सिर्फ देवता या मनुष्य के पुण्य ही मृत्यु को टाल सकते हैं। यह याद रखना चाहिए कि मौत का अहसास व्यक्ति को छह माह पूर्व ही हो जाता है। oshoविकसित होने में 9 माह, लेकिन मिटने में 6 माह। 3 माह कम। भारतीय योग तो हजारों साल से कहता आया है कि मनुष्य के स्थूल शरीर में कोई भी बीमारी आने से पहले आपके सूक्ष्म शरीर में छ: माह पहले आ जाती है यानी छ: माह पहले अगर सूक्ष्म शरीर पर ही उसका इलाज कर दिया जाए तो बहुत-सी बीमारियों पर विजय पाई जा सकती है।
इस मान से यदि हम अपने जीवन को गौर से देखें तो इसका ज्ञान स्वत: ही हो सकता है। आप किस तरह का खाना खाते हैं, किस तरह के विचार सोचते हैं और किस तरह के माहौल में रहते हैं और इसके अलावा आपके माता पिता का जीवन किस तरह का रहा। इन सभी का विश्लेषण करने पर आपको स्वत: ही ज्ञान होगा कि मेरा क्या हश्र होगा। यदि आप यह जान लेते हैं तो आप अपनी उम्र बढ़ाने के विषय में भी सोच सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपमें संकल्प और संयम की जरूरत होगी।>
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