जानिए चीन से सटे ताइवान ने कौन से कदम उठाकर अपने को कोरोना वायरस की महामारी से बचाया
बीजिंग। चीन के वुहान और हुबेई प्रांत से शुरू हुआ कोरोनावायरस का संक्रमण अब 132 देशों तक पहुंच चुका है। चीन के बाद अब इटली और ईरान में इससे सबसे अधिक मौतें हो चुकी हैं मगर एक बड़ा सवाल ये भी उठ रहा कि चीन से सटे ताइवान ने ऐसा क्या किया जिसकी वजह से कोरोना वहां के लिए महामारी नहीं बन सका। डोएचेवेले की रिपोर्ट के अनुसार जहां चीन में मौतों और संक्रमित होने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है वहीं ताइवान में इस पर रोक लगी हुई है। वायरस पर कंट्रोल के लिए सेना की बटालियन को छिड़काव के लिए उतार दिया गया। स्कूलों में सभी को मास्क पहनकर आना अनिर्वाय कर दिया गया।
दुनिया के बाकी देशों में तो अब तक कोरोना संक्रमण के हजारों मामले सामने आ चुके हैं मगर चीन से सटे होने के बावजूद ताइवान में मात्र 50 मामले ही सामने आए थे जिस पर वहां के मंत्रालय ने एहतियाती कदम उठाते हुए काबू पा लिया। अब दुनिया का हर देश ये जानना चाह रहा है कि आखिर चीन से सटे होने के बावजूद ताइवान ने ऐसा क्या-क्या काम किया जिसकी वजह से उनके यहां ऐसे मामलों में बढ़ोतरी नहीं हुई और किसी के मरने की भी खबर नहीं आई।
जानकार मानते थे कि चीन के बाद ताइवान में ही मिलेंगे सबसे अधिक मामले
जनवरी माह में चीन में कोरोनावायरस का संक्रमण शुरू हुआ था, उसी समय जानकारों ने उम्मीद जताई थी कि चीन से सटे सभी शहर इसका शिकार होंगे और वहां मौतों का आंकड़ा काफी रहेगा। चीन के बाद सबसे ज्यादा मामले ताइवान में ही देखने को मिलेंगे लेकिन चीन में जहां 80 हजार से भी ज्यादा मामले सामने आए हैं वहीं ताइवान ने इसे सिर्फ 50 मामलों पर ही रोक रखा है। स्वास्थ्य महकमे के जानकारों का कहना है कि ताइवान ने जिस फुर्ती के साथ वायरस की रोकथाम के लिए कदम उठाए, यह उसी का नतीजा है।
चीन से सटे ताइवान ने कोरोनावायरस की गंभीरता को समझते हुए पहले ही एहतियाती कदम उठा लिए जिसके कारण उनके यहां पीड़ितों की संख्या 50 से ऊपर नहीं पहुंच सकी। |
बीजिंग। चीन के वुहान और हुबेई प्रांत से शुरू हुआ कोरोनावायरस का संक्रमण अब 132 देशों तक पहुंच चुका है। चीन के बाद अब इटली और ईरान में इससे सबसे अधिक मौतें हो चुकी हैं मगर एक बड़ा सवाल ये भी उठ रहा कि चीन से सटे ताइवान ने ऐसा क्या किया जिसकी वजह से कोरोना वहां के लिए महामारी नहीं बन सका। डोएचेवेले की रिपोर्ट के अनुसार जहां चीन में मौतों और संक्रमित होने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है वहीं ताइवान में इस पर रोक लगी हुई है। वायरस पर कंट्रोल के लिए सेना की बटालियन को छिड़काव के लिए उतार दिया गया। स्कूलों में सभी को मास्क पहनकर आना अनिर्वाय कर दिया गया।
दुनिया के बाकी देशों में तो अब तक कोरोना संक्रमण के हजारों मामले सामने आ चुके हैं मगर चीन से सटे होने के बावजूद ताइवान में मात्र 50 मामले ही सामने आए थे जिस पर वहां के मंत्रालय ने एहतियाती कदम उठाते हुए काबू पा लिया। अब दुनिया का हर देश ये जानना चाह रहा है कि आखिर चीन से सटे होने के बावजूद ताइवान ने ऐसा क्या-क्या काम किया जिसकी वजह से उनके यहां ऐसे मामलों में बढ़ोतरी नहीं हुई और किसी के मरने की भी खबर नहीं आई।
जानकार मानते थे कि चीन के बाद ताइवान में ही मिलेंगे सबसे अधिक मामले
जनवरी माह में चीन में कोरोनावायरस का संक्रमण शुरू हुआ था, उसी समय जानकारों ने उम्मीद जताई थी कि चीन से सटे सभी शहर इसका शिकार होंगे और वहां मौतों का आंकड़ा काफी रहेगा। चीन के बाद सबसे ज्यादा मामले ताइवान में ही देखने को मिलेंगे लेकिन चीन में जहां 80 हजार से भी ज्यादा मामले सामने आए हैं वहीं ताइवान ने इसे सिर्फ 50 मामलों पर ही रोक रखा है। स्वास्थ्य महकमे के जानकारों का कहना है कि ताइवान ने जिस फुर्ती के साथ वायरस की रोकथाम के लिए कदम उठाए, यह उसी का नतीजा है।
सार्स एपिडेमिक के बाद बनाया नेशनल हेल्थ कमांड सेंटर
अमेरिका की स्टैनफॉर्ड यूनिवर्सिटी के डॉक्टर जेसन वैंग का कहना है कि ताइवान ने बहुत जल्दी मामले की गंभीरता को पहचान लिया था। साल 2002 और 2003 में सार्स एपिडेमिक के बाद ताइवान ने नेशनल हेल्थ कमांड सेंटर स्थापित किया, ताइवान को अहसास हो गया था कि कोरोना अगली महामारी बनेगी, इसी को ध्यान में रखते हुए पहले से तैयारी कर ली गई।
यात्रा पर लगा दिया बैन
चीन में जैसे ही कोरोना पीड़ितों के मामले बढ़ने लगे ताइवान ने अपने यहां के नागरिकों पर चीन, हांगकांग और मकाउ जाने पर बैन लगा दिया। इतना ही नहीं, ताइवान की सरकार ने सर्जिकल मास्क के निर्यात पर भी रोक लगा दी ताकि देश में इसकी कमी ना हो सके। उसी का नतीजा रहा कि वहां मास्क कम नहीं हुए, हालात खराब नहीं होने पाए। वैंग बताते हैं कि सरकार ने अपने संसाधनों को बहुत सोच समझ कर इस्तेमाल किया। ताइवान की सरकार ने नेशनल हेल्थ इंश्योरेंश, इमिग्रेशन और कस्टम के डेटा को कलेक्ट किया, लोगों की ट्रैवल हिस्ट्री को इससे जोड़कर मेडिकल अधिकारी पता लगा पाए कि किन-किन लोगों को संक्रमण हो सकता है, उसके बाद उसी हिसाब से उपाय किए गए।
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